वेदान्त का उद्घोष
वेदान्त का उद्घोष आत्मतत्व का ज्ञान हो जाने का अर्थ यह नहीं है कि प्रपंच अथवा जगत की प्रतीति नहीं होगी अथवा भूख, प्यास, कष्ट, पीड़ा, सुख-दुःख, जन्म-मृत्यु, विषयों तथा अपने-पराये आदि की प्रतीति नहीं होगी| यह सब बिल्कुल वैसा ही होगा, जैसा पहले होता था । केवल इनके प्रति सत्यत्व बुद्धि नहीं रहेगी। […]