भागवत कथा-ज्ञान यज्ञ
भागवत कथा-ज्ञान यज्ञ भगवत तथा ज्ञान यज्ञ भागवत कथा-ज्ञान यज्ञ
वेदान्त का उद्घोष
वेदान्त का उद्घोष आत्मतत्व का ज्ञान हो जाने का अर्थ यह नहीं है कि प्रपंच अथवा जगत की प्रतीति नहीं होगी अथवा भूख, प्यास, कष्ट, पीड़ा, सुख-दुःख, जन्म-मृत्यु, विषयों तथा अपने-पराये आदि की प्रतीति नहीं होगी| यह सब बिल्कुल वैसा ही होगा, जैसा पहले होता था । केवल इनके प्रति सत्यत्व बुद्धि नहीं रहेगी। […]
वेद – वेदान्त तथा उपनिषदों का सार
“ वेदान्त “ अर्थात् ‘ अध्यात्मविद्या ‘ का उद्घोष है , कि दुःखों की आत्यन्तिक निवृत्ति तथा परमानन्द की प्राप्ति एक मात्र ” ब्रह्मविद्या के श्रवण , मनन , विचार तथा निदिध्यासन के अभ्यास से ही हो सकती है । जिसके लिए ” नित्यानित्य ” वस्तुके ” विवेक ‘ तथा अनित्य दृश्यवर्ग से तीव्र वैराग्य […]