Author: Anmol gupta

I am Anmol gupta, i warmly welcome you to APNE KO JANO, and hope you liked this article, My mission is to inspire millions of people, i can show you the right path to go ahead.

समस्या

1. जीवन में अनेकों बार दुःखी होना, विपत्तियों में पड़ना आदि जीव के जीवन की क्या कोई समस्या नहीं है? 2. जीवन भर कठिन परिश्रम करके धन-सम्पत्ति, परिवार आदि बढ़ाना और एक मिनट में शरीर सहित सब छोड़‌कर अच्छे-बुरे कर्मो की गहरी बाँध कर दूसरे शरीर में चल देना, जीव के जीवन की कोई समस्या […]

मिला क्या ?

शास्त्र कहते हैं -कि बड़े भाग्य से जीव ने मनुष्य का शरीर प्राप्त करके विवाह किया, धन-सम्पत्ति कमाई बच्चे पैदा किये, बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाई, समस्त भोग विलास के साधन एकत्र करके भोगे, धार्मिक कार्य किये, तीर्थ-व्रत किये, गंगा-संगम में स्नान किया, आरती-पूजा आदि की, कथायें अर्थात् इतिहास सुने सुनाए, इन सबको करने में […]

माया और माया का कार्य

भागवत स्कन्द 11 अ 07 श्लोक 7-8 भगवान् कहते हैं-माया के द्वारा जिनका चित्त हर लिया गया है अर्थात् “माया” के द्वारा जो मोहित (भ्रमित) हो रहे हैं। उन्हीं को ऐसा दुराग्रह होता है, कि यह मेरा है, वह उनका है यह “गंगा” जी हैं, यह यमुना जी हैं, और यह दोनों का संगम है, […]

| मुक्ति का साधन |

शास्त्र का वचन है-” मुक्ति” अर्थात् भगवान् के “परमपद” को प्राप्त करने के लिए” साधक” को तीन वस्तुओं की जानकारी प्राप्त करना परम आवश्यक है। पहला-आकाश’ तथा अग्नि के स्वरूप को अच्छी तरह समझना। दूसरा :-‘भगवान्’ अर्थात् ‘आत्मा’ के स्वरूप को ठीक-ठीक जानना। तीसरा :- ‘जीव’ तथा उसके अज्ञान के स्वरूप को ठीक तरह श्रुति, […]

महापुरुषों की वाणी

महापुरुष कहते हैं जब तक किसी की बुद्धि अन्धविश्वास तथा अन्धपरम्पराओं में जकड़ी रहेगी, विवेक तथा विचार शून्य बनी रहेगी, तब तक कोई भी परमसत्य वस्तु – परमार्थ को जान नहीं सकेगा, चाहे जितना प्रयाश करता रहे, सफलता नहीं मिलेगी। जगत् अर्थात् देश, काल, वस्तु को ही सत्य समझता रहेगा। जिसके कारण दुःखों से पूर्णतया […]

आकाश का स्वरूप

जो आकाश के स्वरूप को नहीं जान पाएगा,वह ईश्वर अर्थात् परमात्मा के स्वरूप को कभी नहीं जान पाएगा, जो भगवान के स्वरूप को नहीं जान पाएगा , वह अपने साथ शुरू को कभी नहीं जान पाएगा। स्वामी महेशानंद 9580882032

भगवान्

जो लोग भगवान् अथवा देवी – देवताओं को अचेतन मूर्तियों की सेवा, पूजा, आरती, भोग, चढ़ावा तथा दर्शन आदि तो नहीं करते हैं, परन्तु चेतन मूर्तियों (प्राणियों) विशेषकर मनुष्यों के साथ धोखाधड़ी, विश्वासघात, झूठ, छल, कपट, अत्याचार अन्याय, अनीति तथा अमयोदित बात, व्यवहार नहीं करते हैं तथ सभी को भगवान् (ईश्वर) की चलती-फिरती प्रतिमा मानकर […]

।। मनोराज्य ।।

मनोराज्य का अर्थ है- मानसिक कल्पना:- यह हमारा शरीर है, पुत्र है, पुत्री है, भाई है, पिता है, माता है, नाती है, पति है, पत्नी है आदि । यह हमारा प्लाट है मकान है, सम्पत्ति है, धन है, गाँव है आदि। मै हिन्दू हूँ, मुसलमान हूँ, जैनी हूँ, सिन्धी हूँ, आदि । मैं ब्राह्मण हूँ, […]

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