भगवान्
जो लोग भगवान् अथवा देवी – देवताओं को अचेतन मूर्तियों की सेवा, पूजा, आरती, भोग, चढ़ावा तथा दर्शन आदि तो नहीं करते हैं, परन्तु चेतन मूर्तियों (प्राणियों) विशेषकर मनुष्यों के साथ धोखाधड़ी, विश्वासघात, झूठ, छल, कपट, अत्याचार अन्याय, अनीति तथा अमयोदित बात, व्यवहार नहीं करते हैं तथ सभी को भगवान् (ईश्वर) की चलती-फिरती प्रतिमा मानकर […]
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।। मनोराज्य ।।
मनोराज्य का अर्थ है- मानसिक कल्पना:- यह हमारा शरीर है, पुत्र है, पुत्री है, भाई है, पिता है, माता है, नाती है, पति है, पत्नी है आदि । यह हमारा प्लाट है मकान है, सम्पत्ति है, धन है, गाँव है आदि। मै हिन्दू हूँ, मुसलमान हूँ, जैनी हूँ, सिन्धी हूँ, आदि । मैं ब्राह्मण हूँ, […]
Top 10 Java Questions Problems
Top 10 Java Questions Problems 1.A certain grade of steel is graded according to the following conditions: (i) Hardness must be greater than 50 (ii) Carbon content must be less than 0.7 (iii) Tensile strength must be greater than 5600 The grades are as follows: Grade is 10 if all three conditions are met Grade […]
TOP 10 Java Pattern Programs
TOP 10 Java Pattern Programs 1- Square Pattern Programs in Java * * * * * * * * * * * * * * * * package pattern; import java.util.Scanner; public class pattern_1 { public static void main(String arg[]) { Scanner key = new Scanner(System.in); System.out.print(“Enter the pattern Numbers=”); int n = key.nextInt(); for […]
अध्यात्म विद्या से लाभ
अध्यात्म विद्या से लाभ सबसे पहले सभी को यह समझना चाहिये कि अध्यात्म ज्ञान के बिना मानव कितनी भी विद्यायें पढ़ले अथवा कितना भी टेकिनकल ज्ञान प्राप्त करेले अथवा कितनी भी भौतिक सम्पत्ति बढ़ा लें, फिर भी उसका जीवन अन्धे और लंगड़े व्यक्ति के समान ही है। यह विद्या दो-चार वर्ष गुरु-शिष्य परम्परा से स्कूल […]
सत्संग से लाभ
सत्संग से लाभ 1 ईश्वर, जीव, जगत् तथा परमार्थ सत्ता के विषय में सही सही जानकारी हो जाती है । 2 ‘अविद्या’ नष्ट हो जाने के कारण ‘माया-मोह’ नष्ट हो जाते हैं जिससे देश, काल, वस्तु के प्रति सत्यत्व बुद्धि समाप्त हो जाती है।3 रामचरित मानस में बताये गये मानसिक रोगों से ‘मुक्ति’ मिल जाती […]
अपनी-खोज | APNI KHOJ
अपनी-खोज प्रश्न:- आँख से कौन देखता है, कान से कौन सुनता है, स्वाद को कौन जानता है तथा स्वाद को कौन ग्रहण करता है ?आपका उत्तर होगा:- “हम” |प्रश्न:- आंख की मन्दता, पटुता, कान की मन्दता, पटुता आदि का कौन जानता है ?आप कहेंगे:- “हम” | प्रश्न – मन की चचलता, शान्ति, अशान्तिा, स्थिरता तथा […]
विवेक
विवेक भागवत पुराण के अनुसार विवेक माने अपने सत् स्वरूप का ज्ञान। उपर्युक्त विवेक की विवेचना इस प्रकार है—1- देह से मैं प्रथक हूं, इसेे विवेक कहते हैं। 2- शरीर मुझे मिला है, मैं शरीर नहीं हूं, इसे विवेक कहते हैं। 3- शरीर अनित्य, विकारी तथा विनाशी है, मैं नित्य, अविकारी तथा अविनाशी हूं, इसे […]
कल्याण का मार्ग
कल्याण का मार्ग शास्त्र कहते हैं यदि कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति विचार करके देखे, तो ज्ञात होगा, कि उसका जो भी व्यवहार (वर्ताव) सामने वाले के प्रति हो रहा है, वह ईश्वर के साथ ही हो रहा है। क्योंकि गीता,मानस तथा पुराण आदि “जीव” को ईश्वर का अंश बतलाते हैं। भगवान श्री कृष्ण ने तो […]