26 January 2020|26 जनवरी 2020
प्यारे बहिनों और भाइयों परम पूज्य महात्मा गांधी, सुभाष चन्द्र बोस, नाना राव, झाँसी की रानी और सरदार बल्लभ भाई पटेल जैसे बलिदानियों ने जो स्वतन्त्र भारत का सपना देखा था । वह ऐसी स्वतन्त्रता का नहीं था, कि हम स्वतन्त्रता का अर्थ स्कछन्दता समझनें लगे ।
स्वतन्त्रता का अर्थ यह कदापि नहीं है कि जब जो चाहे रोड जाम कर दे, जब चाहे अनर्गल बातो को मनवाने के लिए इस्ट्राइक कर दे, जिस समय चाहे अपने कार्यालय में पहुंचे और मोबाइल पर घर परिवार में बाते ही करते रहे, मैच देखता रहे|
वोट बैंक की राजनीति करके राष्ट्र विरोधी नीतियां अपनाने लगे, हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ कराने लगे
जो कार्य अंग्रेज, राजे-महाराजे तथा जमीदार आदि करते थे वही कार्य यदि विधायक, सांसद, मंत्री तथा नेतागण आदि करने लगें तो फिर अंग्रेजी हुकूमत और अपने देश की हुकूमत में फर्क ही कहां रहा ?
मैं तो ऐसा समझता हूँ कि यदि कदाचित आज जिन देश भक्तों ने आजादी के लिए कुर्बानी और बलिदान दिया था, अंग्रेजों की यातनायें सही थीं,
वे यदि कहीं स्वर्ग से अपने देश की दुर्व्यवस्था, अराजकता, अन्याय, अनीति, अत्याचार, भ्रष्टाचार, बलात्कार हिंसा और आगजनी जैसी घटनाओं को मात्र वोट और सत्ता अथवा धन-संपत्ति के लोभ में होता देख कर आँसू बहा रहे होंगे |
किसी भी सरकार द्वारा यदि कोई कार्य संपूर्ण राष्ट्र के प्रति दूर दृष्टि रखकर केंद्र सरकार करती है तो ऐसे विशेष महत्वपूर्ण उस कार्य जिस पर देश का भविष्य निर्भर है उस पर शियासत बड़े शर्म की बात है।
Note