सत्संग से लाभ
1 ईश्वर, जीव, जगत् तथा परमार्थ सत्ता के विषय में सही सही जानकारी हो जाती है ।
2 ‘अविद्या’ नष्ट हो जाने के कारण ‘माया-मोह’ नष्ट हो जाते हैं जिससे देश, काल, वस्तु के प्रति सत्यत्व बुद्धि समाप्त हो जाती है।
3 रामचरित मानस में बताये गये मानसिक रोगों से ‘मुक्ति’ मिल जाती है।
4 “जीव” पुनर्जन्म के बन्धन से ‘मुक्त’ हो जाता है; क्योंकि दृष्टा दृश्य का विवेक हो जाने से चिज्जड़ ग्रन्थि छूट जाती है।
5 बेवकूफी और नासमझी मिट जाती है, अर्थात् पागलपन ‘ठीक होकर जीव स्वस्थ हो जाता है।
6- दुःखों की अत्यन्तिक निवृत्ति होकर परमानन्द की प्राप्ति हो जाती है।
7 परमार्थ सत्ता से जीव को अपनी एकता का बोध हो जाता है। जिससे सर्वात्मभाव आजाता है। भेद भ्रान्ति मिट जाती है।
8 सर्वात्मा श्री हरि की ‘भक्ति’ प्राप्त हो जाती है।
9- मनुष्य शरीर का मिलना सार्थक (सफल) हो जाता है।
जो वस्तु जैसी है, उसका संशय और विपर्यय रहित ज्ञान हो जाता है।
11 पहले की मान्यतायें मिटकर शास्त्र सम्मत मान्यतायें बन जाती हैं।
12 संसार से मन हटकर परमात्मा में रम जाता है।
13 शास्त्रों के (गीता-मानस) अनेकों शब्दों का अर्थ (तात्पर्य) ठीक -2 समझ में आ जाता है।
यदि किसी सत्संगी भाई, बहन को सत्संग से उपरोक्त लाभ प्राप्त नहीं हुए है तो उसने अभी असली सत्संग चर्चा सुनी नहीं है, ऐसा समझना चाहिए। इसे ऐसा समझो कि सत्संग हुआ ही नहीं है।
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