शास्त्र का वचन है-” मुक्ति” अर्थात् भगवान् के “परमपद” को प्राप्त करने के लिए” साधक” को तीन वस्तुओं की जानकारी प्राप्त करना परम आवश्यक है। पहला-आकाश’ तथा अग्नि के स्वरूप को अच्छी तरह समझना। दूसरा :-‘भगवान्’ अर्थात् ‘आत्मा’ के स्वरूप को ठीक-ठीक जानना। तीसरा :- ‘जीव’ तथा उसके अज्ञान के स्वरूप को ठीक तरह श्रुति, युक्ति तथा अनुभव के आधार पर जानना। उपर्युक्त जानकारी के बिना न ‘मुक्ति’ प्राप्त हो सकती है, न भक्ति।
महेशानंद 9580882032