गुरु शिष्य के प्रश्न उत्तर जवाब (प्रश्नावली) |भगवान् किसे कहते हैं ?
गुरु शिष्य के प्रश्न उत्तर जवाब(प्रश्नावली)
1 -भगवान् किसे कहते हैं ?
उत्तर- सर्वत्र , परिपूर्ण , सर्वशक्तिमान सच्चिदानन्दघन तत्त्व को ।
2 – सत्संग किसे कहते हैं ?
उत्तर- सत्पुरुष के सान्निध्य में रहकर सत्वस्तु का ज्ञान प्राप्त करना ।
3 – सत् पुरुष कौन है ?
उत्तर- अपने सत् स्वरूपमें प्रतिष्ठत तत्त्वज्ञानी महात्मा ।
4 – मुक्ति क्या है ?
उत्तर- पुनर्जन्म के बन्धन से छुटकारा ।
5 – बन्धन क्या है ?
उत्तर- जीव का विवश होकर शरीर छोड़ना और ग्रहण करना ।
6 – मुक्ति कैसे होती है ?
उत्तर- अपने वास्तविक स्वरूप के ज्ञान से ।
7 – मुक्त कौन होता है ?
उत्तर- जीव ( जीवात्मा ) ।
8 – धर्म क्या है ?
उत्तर-अपने कर्तव्य का अच्छी तरह पालन करना ।
9 – अधर्म क्या है ?
उत्तर-झूठ , छल , कपट , चोरी , बेईमानी , हिंसा , अन्याय , अत्याचार आदि का व्यवहार ।
10 – मानव जीवन की सार्थकता क्या है ?
उत्तर- परमात्मा की प्राप्ति अर्थात् अपने सत् स्वरूप के ज्ञान में ।
11 – तपस्या क्या है ?
उत्तर- मन , इन्द्रियों को संयमित रखना ।
12 – असली शत्रु मित्र कौन है ?
उत्तर- मनुष्य ही अपना शत्रु है , वही स्वयं अपना मित्र है ।
13 – ऐसा कैसे ?
उत्तर- जिसने मन , इन्द्रियों को बस में करके कामनाओं को समाप्त कर दिया है , वही अपना मित्र है , नहीं तो स्वयं ही अपना शत्रु है ।
14 – जगत् किसे कहते हैं ?
उत्तर- देश , काल , वस्तु के रूप में जो भी है , वह सब जगत् है ।
15 – संसार किसे कहते हैं ?
उत्तर- जीवात्मा द्वारा मैं , मेरा , तेरा तथा अपने – पराये आदि की सृष्टि को ।
16- माया किसे कहते हैं ?
उत्तर- जो वस्तु दिखाई दे , व्यवहारमें आवे , परन्तु स्वतन्त्र अस्तित्व न रखती हो ।
17 – श्रेय मार्ग क्या है ?
उत्तर- वेदान्त के श्रवण , मनन तथा विचार आदि के द्वारा अपनी पूर्णता को जानना ।
18 – प्रेय मार्ग क्या है ?
उत्तर- मन , इन्द्रियों को प्रिय लगने वाला भौतिकता तथा विलासिता का जीवन ।
19 – कृपण कौन है ?
उत्तर- जो आत्मा ज्ञान से वंचित है ।
20 – वृद्ध कौन है ?
उत्तर- जो ज्ञान से श्रेष्ठ है ।
21 – ज्ञानी कौन है ?
उत्तर- जो ” एको ब्रह्मद्वितीयो नास्ति ‘ के ज्ञान में दृढता से स्थित है ।
22 – अज्ञानी कौन है ?
उत्तर- जो देश , काल , वस्तु अर्थात् जगत् व संसार के प्रति सत्यत्व बुद्धि रखता है ।
23 – स्वधर्म क्या है ?
उत्तर- अपने पद तथा वर्ण , आश्रम धर्म का विधिवत पालन करना ।
24 – सामान्य धर्म क्या है ?
उत्तर- सत्य , न्याय , नीति , ईमानदारी तथा अहिंसा आदि का जीवन ।
25 – परमधर्म क्या है ?
उत्तर-अपनी पूर्णता तथा अद्वितीयता का ज्ञान प्राप्त करना ।
26 – पाप क्या है ?
उत्तर- किसी प्राणी को कष्ट व दुःख देना ।
27 – पुण्य क्या है ?
उत्तर- दूसरोंके दुःखों तथा कष्टों को दूर करना – कराना ।
28 – देहाभिमान क्या है ?
उत्तर- देहादि में मैं तथा हम की भावना रखना ।
29 – जीव के शत्रु कौन हैं ?
उत्तर- काम , क्रोध , लोभ , मद तथा अहंकार ।
30 – परमार्थ किसे कहते है ?
उत्तर- परम सत्यवस्तु ( ब्रह्म ) आत्म तत्त्व को ।
31 – धनी कौन है ?
उत्तर- जो सन्तोषी है ।
32 – अभागा कौन है ?
उत्तर- जो तत्त्वज्ञानी संतके सान्निध्यसे वंचित है ।
33 – माया मोह की निवृत्तिका उपाय क्या है ?
उत्तर- सत्संग ।
34 – कल्याण का साधन क्या है ?
उत्तर- सद् ग्रंथ का नित्य – प्रति अध्ययन , मनन , विचार तथा सत्संग ।
35 – क्या नहीं करना चाहिए ?
उत्तर- जो बात व्यवहार तुम्हें अपने व अपनों के लिए पसन्द न हो ।
36 – सबसे अधिक अमूल्य कया है ?
उत्तर- समय ।
37 – गुरु और सदगुरुमें क्या अन्तर है ?
उत्तर- गुरु वह है , जिससे हमें भौतिक विद्याओं का ज्ञान होता है । सद्गुरु वह है , जो अज्ञानान्धकार को दूर करने की विद्या पढ़ाता है ।
38 – अज्ञानान्धकार क्या है ?
उत्तर- अनात्म , अनित्य , जड़ , विकारी तथा परिवर्तनीय पदार्थों में सत्यत्व एवं महत्व बुद्धि अथवा अपने को देहादि मानना ।
39 – पुरुषार्थ किसे कहते है ?
उत्तर- जो भी बहिरंग व अन्तरंग कर्मोको ।
40 – प्रारब्ध किसे कहते हैं ?
उत्तर- इन कोके फल को प्रारब्ध कहते हैं ।
41 – मृत्यु क्या है ?
उत्तर- शरीरसे जीव का निकल जाना ।आत्मा का नहीं ।
42 – जन्म क्या है ?
उत्तर- नवीन शरीरमें जीवात्मा के प्रवेशसे चेतनाका उत्पन्न हो जाना ।
43 – जीवात्मा क्या है ?
उत्तर- बुद्धिमें आत्मा की प्रतिबिम्बित चेतना ।
44 – सत्य क्या है ?
उत्तर- जिसकी स्वतन्त्र सत्ता हो , किसी देश , काल और वस्तुमें कभी अभाव न हो ।
45 – असत्य क्या है ?
उत्तर- जो सभी जगह , सभी समय , सभी वस्तुओंमें चित् रूपसे विद्यमान न हो ।
46 – विवेकी कौन है ?
उत्तर- जो अपनेको चेतन , अविनाशी तथा दृश्यको जड़ , विनाशी मानता है ।
47 – ईश्वर प्रगट रूपमें कहाँ रहता है ? सभी के हृदयमें ।
48 – अधिष्ठान किसे कहते हैं ?
उत्तर- किसी वस्तु का मूल स्वरूप , रूप – नाम जिसके आश्रित होते हैं ।
49 – अध्यस्त किसे कहते है ?
उत्तर- जिसका स्वतन्त्र अस्तित्व न हो ।
50 – स्वरूप किसे कहते हैं ?
उत्तर- जिसके आश्रित नाम – रूप होते है ।
51 – श्रद्धा का अर्थ क्या है ?
उत्तर- उपनिषदों तथा सत्पुरुषोंके बचनों पर अटूट विश्वास ।
52 – संत कौन है ?
उत्तर- शान्तचित्त , ब्रह्मज्ञानी , महात्मा ।
53 – ब्रह्मज्ञान क्या है ?
उत्तर- सर्वव्यापी , सर्वात्मा , श्री हरिः से अपनी एकता का ज्ञान ।
54 – ज्ञानयज्ञ किसे कहते हैं ?
उत्तर- जिस चर्चाके श्रवणसे माया – मोह की निवृत्ति जाय हो जाय ।
55 – विवेक किसे कहते हैं ?
उत्तर- अहं और इदं ( मैं और यह ) को अलग – अलग समझना ।
56 – असली भक्त कौन है ?
उत्तर- जो ” जीव परमात्मासे अपनी एकता का ज्ञान रखता है ।
57 – विषय किन्हें कहते हैं ?
उत्तर- शब्द , स्पर्श , रूप , रस , गन्ध को ।
58 – सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है ?
उत्तर- दूसरे की मृत्यु देखकर अपनी मृत्यु की स्मृिति न रहना ।
59 – मनुष्य शरीर पुनः किसे नहीं मिलता ?
उत्तर- पापी , क्रोधी , अधर्मी तथा तमोगुणी को ।
60 – दासता क्या है ?
उत्तर- जो मन , इन्द्रियोंके आधीन है ।
61 – सत्संग का फल क्या है ?
उत्तर- सच्चिदानन्दघन परब्रह्म परमात्मासे अपनी एकता का ज्ञान ।
62 – वैराग्य किसे कहते हैं ?
उत्तर- अनित्य , अनात्म , विनाशी , विकारी पद – पदार्थों में राग का अभाव ( अरुचि ) ।
63 – आत्मा किसे कहते हैं ?
उत्तर- अखण्ड , अनादि , अनन्त , सूक्ष्मातिसूक्ष्म , सर्वत्र परिपूर्ण चेतन तत्त्व को ।
64 – अनात्मा किसे कहते है ?
उत्तर- अनित्य , जड़ , विनाशी , विकारी , भौतिक दृश्य आदि को ।
65 – जगतको मिथ्या कहने का क्या अर्थ हैं ?
उत्तर- सत्ताशून्य , कल्पित , पराश्रित , अध्यारोपित ।
66 – असत्का अर्थ क्या है ?
उत्तर- जिसका स्वतन्त्र अस्तित्व न हो ।
67 – अविद्या क्या है ?
उत्तर- ईश्वर , जीव , जगत् तथा अपने वास्तविक स्वरूपको न जानना ।
68 – सर्वोत्तम दृष्टि कौन सी है ?
उत्तर- ब्रह्म दृष्टि अर्थात् अभेद दृष्टि ।
69 – अवतार कौन लेता है ?
उत्तर- अंन्तर्यामी ईश्वर , ब्रह्म नहीं ।
70 – अवतारका स्वरूप क्या है ?
उत्तर- अपनी इच्छासे ईश्वरका आकृति के रूपमें प्रगट होना ।
71 – ईश्वर की सच्ची पूजा क्या है ?
उत्तर- समस्त प्राणियोंमें भगवान की भावना रखते हुए बात – व्यवहार करना ।
72 – सच्ची भक्ति क्या है ?
उत्तर- सभी कार्य होते रहने पर सदैव ईश्वरीय सत्ताका दर्शन , स्मरण , सेवा व जप ।
73 – सच्ची विद्या कौन सी है ?
उत्तर- जिससे मैं – तू , मेरा – तेरा तथा जीव – ब्रह्म का भेद मिट जाय ।
74 – धनकी सार्थकता किसमें है ?
उत्तर- आवश्यकमन्दों की आवश्यकता की पूर्तिमें ।
75 – कर्म क्या है ?
उत्तर- जिस कार्यको करने से कर्त्तापने की मान्यता हो ।
76 – अकर्म क्या हैं ?
उत्तर- जिस कार्यको करनेसे मन – बुद्धि में मैंने किया ऐसी भावना न बने ।
77 – विकर्म क्या है ?
उत्तर- झूठ , छल , कपट , ठगी , बेईमानी , धोखाधड़ी , अत्याचार , हिंसा , अन्याय आदि ।
78 – तीर्थ किसे कहते हैं ?
उत्तर- ब्रह्मवेत्ता ( ब्रह्मविद ) के निवास स्थान को । ( भागवतमें )
79 – असली गंगा जल क्या है ?
उत्तर- ब्रह्मविद् पुरुषके उपदेशोंका सेवन ।
80 – शास्त्र क्या है ?
उत्तर- श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ महापुरुषकी वाणी ।
81 – ब्रह्मविद्या किसे कहते हैं ?
उत्तर- जिसे पढ़नेसे जगत्के मिथ्यात्व तथा अपने अविनाशी स्वरूपका ज्ञान हो ।
82 – ब्रह्म क्या है ?
उत्तर- जो आकाशकी भाँति अचल , अखण्ड , व्यापक चित् , आनन्द स्वरूप है ।
83 – तत्त्व किसे कहते हैं ?
उत्तर- जिसके बिना ईश्वर , जीव , जगत् की सत्ता ही न रहे ।
84 – क्या आत्मा , परमात्मा , ब्रह्म तथा तत्त्व अलग – अलग वस्तु हैं ?
उत्तर- एक ही वस्तुके सम्बोधन मात्र हैं ।
85 – दान देने योग्य क्या है ?
उत्तर- अन्न , वस्त्र , नेत्र , भूमि , गौ , कन्या , धन , रक्त , श्रम , अभय तथा विद्या ।
86 – श्रेष्ठ यज्ञ कौन हैं ?
उत्तर- ज्ञान यज्ञ , जप – यज्ञ , भूखे को भोजन , प्यासे को पानी और रोगी को औषधि ।
87 – सर्वाधिक अपवित्र वस्तु कौन सी है ?
उत्तर- मनुष्य देह ।
88 – मूर्ख कौन है ?
उत्तर- जो शरीरादि के धर्मोंको अपने धर्म मानता हो ।
89 – शिक्षित कौन है ?
उत्तर- जिसने गुरु – शिष्य परम्परा से अध्यात्मविद्या पढ़ी है ।
90 – भ्रान्ति क्या है ?
उत्तर- अनित्य , अनात्म , क्षणभंगुर , कल्पित तथा मनोराज्यमें सत्यत्व बुद्धि ।
91 – अध्यात्म विद्या का आधार क्या है ?
उत्तर- जाग्रत , स्वप्न , सुषुप्ति ( अवस्थात्रय ) ।
92 – भेद भ्रान्तिका कारण क्या है ?
उत्तर- मूल तत्त्वका अज्ञान । अध्यारोप , आरोप तथा अध्यस्तको सत्य समझना ।
93 – सबसे बड़ा गुण क्या है ?
उत्तर- किसीके दोषों और दुर्गुणोंको न देखना ।
94 – सदाचारी कौन है ?
उत्तर- जो झूठ , छल , कपट , अन्याय , अनीति , अधर्म तथा पापके आचरण से रहित है ।
95 – कुम्भका स्नान क्या है ?
उत्तर- तत्त्वज्ञान से प्राप्त परमानन्दमें निमग्न रहना ।
96 – निष्काम कर्म क्या है ?
उत्तर- जो कार्य कर्तव्य समझकर , फलकी इच्छासे रहित होकर किया जाय ।
97 – सकाम कर्म क्या है ?
उत्तर- जो कर्म फलको दृष्टिमें रखकर किया जाय ।
98 – सत्कर्म किसे कहते हैं ?
उत्तर- आत्मज्ञान प्राप्तिके लिए आत्मज्ञानी व्यक्तिसे ज्ञान – सत्र कराना ।
99 – बहिरंग कर्म क्या है ?
उत्तर- जो कार्य बाह्य करणोंसे किये जाँय ।
100 – अन्तरंग कर्म क्या है ?
उत्तर- जो कार्य आन्तरिक करणोंसे किये जाँय ।
101 – विग्रह स्थापित क्यों करते हैं ?
उत्तर- उनके आचरण एवं उपदेशोंका स्मरण और अनुकरण करनेके लिए ।
102 – परमानन्द प्राप्तिका साधन क्या है ?
उत्तर- अविद्या की निवृत्ति ।
103 – संन्यास क्या है ?
उत्तर- श्रवण , मनन , अध्ययन तथा विचार आदिके द्वारा जीवन्मुक्त होना ।
104 – पशु तुल्य कौन है ?
उत्तर- जो अविवेकी तथा अविचारी है
105 – ज्ञान किसे कहते है ?
उत्तर- जो वस्तु जैसी है , उसे वैसा ही जानना ।
106 – अज्ञान क्या है ?
उत्तर- जो वस्तु जैसी है , उसके विपरीत जानना ।
107 – ज्ञानीके लक्षण बतायें ?
उत्तर- दुराग्रह से रहित , सहजता , सरलता , निष्कामता और निर्विशेषता का जीवन ।